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‘देवांगन’ मेरे मन का वो गुलशन है जहां मेरे जीवन के मुरझाए से, महकते से सप्तरंगी सुमन यादों में सितारों की तरह टंके हुए है और जुगनुओं की मानिंद रोशनी देकर मेरी अंधेरी राहों को रौशन करत रहे हैं। इन्हीं की बदौलत आज मैं अपनी धड़कनों में निरंतर एक ख़ूशबू टहलती हुई पाती हूं,
देवी नागरानी
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