जो है बेजुबां वो शिकायत करे क्या
ग़ज़ल: 54
सुने जो न ख़ुद ही नसीहत करे क्या
जो है बेजुबां वो शिकायत करे क्या
कहीं से मुनासिब ख़बर जो न आए
वो क़िस्मत पे अपनी अक़ीदत करे क्या
बुराई के आगे सिवा ख़ामुशी के
बताए भी कोई शराफ़त करे क्या?
मनाता रहे जश्न जो अपने ग़म का
ख़ुशी आ भी जाए तो दावत करे क्या?
जवाब ईंट का दे भी पत्थर से क्योंकर
वो इक बेज़ुबाँ है बग़ावत करे क्या
जो पहरे पे रहकर ज़मीर अपना बेचे
वो मालिक की अपने हिफाज़त करे क्या
हो दुश्मन से बढ़कर किसीकी जो किस्मत
किसी से वो देवी अदावत करे क्या
देवी नागरानी
सुने जो न ख़ुद ही नसीहत करे क्या
जो है बेजुबां वो शिकायत करे क्या
कहीं से मुनासिब ख़बर जो न आए
वो क़िस्मत पे अपनी अक़ीदत करे क्या
बुराई के आगे सिवा ख़ामुशी के
बताए भी कोई शराफ़त करे क्या?
मनाता रहे जश्न जो अपने ग़म का
ख़ुशी आ भी जाए तो दावत करे क्या?
जवाब ईंट का दे भी पत्थर से क्योंकर
वो इक बेज़ुबाँ है बग़ावत करे क्या
जो पहरे पे रहकर ज़मीर अपना बेचे
वो मालिक की अपने हिफाज़त करे क्या
हो दुश्मन से बढ़कर किसीकी जो किस्मत
किसी से वो देवी अदावत करे क्या
देवी नागरानी
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