Thursday, April 07, 2011

अनबुझी प्यास रूह की है ग़ज़ल

ग़ज़लः 2
अनबुझी प्यास रूह की है ग़ज़ल
खुश्क होठों की तिश्नगी है ग़ज़ल

उन दहकते से मंज़रो की क़सम
इक दहकती सी जो कही है ग़ज़ल

नर्म अहसास मुझको देती है
धूप में चांदनी लगी है ग़ज़ल

इक इबादत से कम नहीं हर्गिज़
बंदगी सी मुझे लगी है ग़ज़ल

बोलता है हर एक लफ़्ज़ उसका
गुफ़्तगू यूँ भी कर रही है ग़ज़ल

मेहराबाँ इस क़दर हुई मुझपर
मेरी पहचान बन गई है ग़ज़ल

उसमें हिंदोस्ताँ की खु़शबू है
अपनी धरती से जब जुड़ी है ग़ज़ल

उसका श्रंगार क्या करूँ देवी
सादगी में भी सज रही है ग़ज़ल
देवी नागरानी

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हमें अपनी हिंदी ज़बाँ चाहिये

ग़ज़लः
हमें अपनी हिंदी ज़बाँ चाहिये
सुनाए जो लोरी वो माँ चाहिये

कहा किसने सारा जहाँ चाहिये
हमें सिर्फ़ हिन्दोस्ताँ चाहिये

जहाँ हिंदी भाषा के महकें सुमन
वो सुंदर हमें गुलसिताँ चाहिये

जहाँ भिन्नता में भी हो एकता
मुझे एक ऐसा जहाँ चाहिये

मुहब्बत के बहती हों धारे जहाँ
वतन ऐसा जन्नत निशाँ चाहिये

तिरंगा हमारा हो ऊँचा जहाँ
निगाहों में वो आसमाँ चाहिये

खिले फूल भाषा के देवी जहाँ
उसी बाग़ में आशियाँ चाहिये1
देवी नागरानी

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Friday, April 01, 2011

देवांगन


मंदिर, मस्जिद, देवाँगन में नूर नज़र इक आता है

साधक कोई बैठा जिसमें बिन सुर साज़ के गाता है

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लौ दर्दे-दिल की

ग़ज़ल

सिमटती जो जाएगी लौ दर्दे-दिल की

तो किस काम आएगी लौ दर्दे-दिल की

करें चाहे कितनी शरारत हवाएं

कभी मिट न पाएगी लौ दर्दे-दिल की

बिछेंगे उजाले जो हरसू ख़ुशी के

तो पहचान पाएगी लौ दर्दे-दिल की

उदासी के आँगन में शह्नाइयों के

सुरों को सजाएगी लौ दर्दे-दिल की

ग़ज़ल की इबादत जहाँ पर भी होगी

वहीँ सर झुकाएगी लौ दर्दे-दिल की

ज़मीरों का ज़ामिन जहाँ झूठ होगा

वहीं तिलमिलाएगी लौ दर्दे-दिल की

सुकूँ पा सकेगा जहाँ दर्द देवी

वहीं मुस्कराएगी लौ दर्दे-दिल की

देवी नागरानी

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आओ सीखें हम अदा गुल-ख़ार से

ग़ज़लः ९

बंद कर दें वार करना अब ज़बाँ की धार से
दोस्ती की आओ सीखें हम अदा गुल-ख़ार से

अपनी मर्ज़ी से कहाँ टूटा है कोई आज तक
वो हुआ लाचार अपनी बेबसी की मार से

नज़्रे-आतिश बस्तियों में यूँ अंधेरा छा गया
साफ़ आएगा नज़र कुछ धुंध के उस पार से

करके मन की हर तरह हमने बिताई ज़िंदगी
याद कर लें अब अमल का पाठ गीता-सार से

बेख़बर खुद से सभी हैं, कौन किसकी ले खबर
सुर्ख़ियों की शोखियां झाँकें हैं हर अख़बार से

क्या है लेना, क्या है देना, दर्द से 'देवी' भला
फ़ायदा भी कुछ नहीं है दर्द के इज़हार से
देवी नागरानी

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