बहूत ऊँचा है उठे गिर कर
बहुत ऊँचा है उठे गिर कर सनमअब तो नीचे देख कर डरते है हम॥
स्वप्न आँखों ने तराशा था उसे
आँसुओं से भी सजा पाए न हम॥
दर्द के आँसू बहुत हमने पिये
पर न जाने क्यों बहक पाए न हम॥
आईना बातें हमीं से कर रहा
मोड सच से मुँह तब पाए न हम॥
होश में है जिंदगी बेहोश हम
लडखडाहट में सँभल पाए न हम॥
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