खुशी का भी छुपा गम में
खुशी का भी छुपा गम में कभी सामान होता हैकभी गम में खुशी का नाम क्यों गुमनाम होता है॥
हुई है आँख मेरी नम न जाने बज्म में भी क्यों
जहाँ जज्बे रहे गूँगे, खनक का दाम होता है॥
कद्र अरमान का करना, यही शायद गुमाँ मेरा
समझ पाना यहाँ खुद को कहाँ आसान होता है॥
सच्चाई से मैं वाकिफ हूँ, बखूबी फिर भी जाने क्यों
कभी सच को ही झुठलाना बडा आसान होता है॥
निराशा मौत सी होती है, आशा जिँदगी देवी
अँधेरों में कभी पर रौशनी का जाम होता है॥
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