बडा इन्सान कद में हो
बडा इन्सान कद में हो तो उसका नाम होता हैजिक्र शोहरत की महफिल में उसीका आम होता है॥
खुशी की चाँदनी में चैन पाता है कोई, किसको
पसीना श्रम का है गर तो, बडा आराम होता है॥
बहारों में निखरता जो न देखा, वो खिजाओं में
थिरकती रँग बू को देखना अँजाम होता है॥
गुमाँ दौलत का होता है, किसीको नाज गुरबत पर
किसी का नाम होता है, कोई बदनाम होता है॥
अमीरी में बसी गहरी बुराई की है बुनियादें
मगर देवी गरीबी पर बहुत इल्जाम होता है॥
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