Friday, April 21, 2006

बडा इन्सान कद में हो

बडा इन्सान कद में हो तो उसका नाम होता है
जिक्र शोहरत की महफिल में उसीका आम होता है॥

खुशी की चाँदनी में चैन पाता है कोई, किसको
पसीना श्रम का है गर तो, बडा आराम होता है॥

बहारों में निखरता जो न देखा, वो खिजाओं में
थिरकती रँग बू को देखना अँजाम होता है॥

गुमाँ दौलत का होता है, किसीको नाज गुरबत पर
किसी का नाम होता है, कोई बदनाम होता है॥

अमीरी में बसी गहरी बुराई की है बुनियादें
मगर देवी गरीबी पर बहुत इल्जाम होता है॥

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