Tuesday, November 21, 2006

है गुले दिल हरा भरा मेरा.


६५.गजल
जो मुझे मिल न पाया रुलाता रहा
याद के गुलिस्ताँ में वो आता रहा.१
हर तरफ आग ही आग है उठ रही
आँसुओं से उसे मैं बुझाता रहा.२
हौसले टूटकर सब बिखरने लगे
गीत फिर भी मैं खुदको सुनाता रहा.३
होश कब था हमें लूटता जब रहा
जहर बन कर वो साकी पिलता रहा.४
जिँदगी हसरतों का दिया है मगर
आँधियों से वही टिमटिमाता रहा.५
ये अलग बात थी पत्थरों में बसा
काँच के घर को अपने बचाता रहा.६
दौर देवी गया जो गुजर कर अभी
याद बीते दिनों की दिलाता रहा.७
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७२. गजल

कसमासाता बदन रहा मेरा
चूम दामन गई हवा मेरा.१

मुझको लूटा है बस खिज़ाओं ने
है गुले दिल हरा भरा मेरा.२

तन्हा मैं हूं, तन्हा राहें भी
साथ तन्हाइयों से रहा मेरा.३

खोई हूं इस कद्र जमाने में
पूछती सबसे हूं पता मेरा.४

आईना क्यों कुरूप इतना है
देख उसे अक्स डर रहा मेरा.५

मेरी परछाई मेरी हम दम है
सफर आसान अब हुआ मेरा.६

मैं अंधेरों से आ गई बाहर
जब से दिल और घर जला मेरा.७

जिसने भी दी दुआ मुझे देवी,
काम आसान अब हुआ मेरा.८

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७५. गजल
अपनी आशाओं का दुश्मन आज बनता हर कोई
ना उम्मीदी से उम्मीदें क्यों है रखता हर कोई. १

छाँव की जिनको तलब वो ढूंढ हरियाली रहे
धूप की शिद्दत रहे तो फिर है बचता पर कोई.२

जिँदगी मौका सदा तो दूसरा देती नहीं
आजमाइश पर नहीं पूरा उतरता हर कोई.३

भीड में भी शोर से उकता गई हूं मैं तो अब
चल वहाँ ऐ दिल जहाँ तन्हा है रहता हर कोई.४

देता है विश्वास क्यों धोखा यहाँ इन्सान को
फिर भी है विश्वास पर विश्वास करता हर कोई.५

जिंदगी के इस लम्हें को कोई जी लेता है , पर
उस लम्हें को जिंदगी भर क्यों तरसता हर कोई.६

अपनी गलती का रहा अहसास देवी को सदा
काश इतनी बात मेरी भी समझता हर कोई. ७



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