Sunday, November 19, 2006

खुदा जाने कहां पर था


गज़लः १०१

इधर खोजा उधर खोजा खुदा जाने कहां पर था
वो धरती पर कहाँ मिलता मुझे जो आसमाँ पर था.१

वफा मेरी नजर अंदाज़ कर दी उन दिवानों ने
मेरी ही नेकियों का जिक्र कल जिनकी जुबाँ पर था.२

भरोसा दोस्त से बढ़कर किया था मैंने दुशमन पर
मेरा ईमान हर लम्हां बड़े ही इम्तहां पर था.३

थी जिसने नोच ली अस्मत, बड़ी जालिम वो हस्ती है
मगर इल्जाम बदकारी का आखिर बेजुबाँ पर था.४

ये आसूं, आंहे, पीडा, दर्द सारे दिल की फसलें है
मुहब्बत का जमाना बोझ इक कल्बे जवां पर था.५

गुजारी ज़िंदगी बेहोश होकर मैंने दुनियां में
मेरा विशवास सदियों से न जाने किस गुमां पर था.६

बहुत से आशियाने थे गुलिस्तां में, मगर देवी
सितम बर्के तपां का सिर्फ मेरे आशियां पर था.७

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गज़लः १०२

यूं उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
इक मैं ही तो नहीं जिसे सब कुछ मिला ना था.१

लिपटे हुए थे झूठ से कोई सच्चा न था
खोटे तमाम सिक्के थे, इक भी खरा ना था.२

उठता चला गया मेरी सोचों का कारवां
आकाश की तरफ कभी, वो यूं उड़ा ना था.३

रिश्तों की डोर में बँधे जो आदमी दिखे
धागा बँधा तो बीच में इक भी दिखा ना था.४

माहौल था वही सदा, फितरत भी थी वही
मजबूर आदतों से था, आदम बुरा ना था.५

जिस दर्द को छुपा रक्खा मुस्कान के तले
बरसों में एक बार भी कम तो हुआ ना था.६

ढोते रहे है बोझ तिरा जिंदगी सदा
जीने में लुत्फ क्यों कोई बाकी बचा ना था.७
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गज़लः १०७
ठहराव जिंदगी में दुबारा नहीं मिला
जिसकी तलाश थी वो किनारा नहीं मिला.१

वर्ना उतारते न समँदर में कशतियां
तूफान आए जब भी इशारा नहीं मिला.२

मेरी लडखडाहटों ने सँभाला है आज तक
अच्छा हुआ किसीका सहारा नहीं मिला.३

बदनामियां घरों में दबे पाँव आ गई
शोहरत को घर कभी भी, हमारा नहीं मिला.४

खुशबू, हवा और धूप की परछाइयां मिली
रौशन करे जो शाम, सितारा नहीं मिला.५

खामोशियां भी दर्द से देवी है चीखती
हम सा कोई नसीब का मारा नहीं मिला.६
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गज़लः १११

तेरी रहमतों में सहर नहीं
मेरी बँदगी में असर नहीं? १

जिसकी रहे नेकी निहां
कहीं कोई ऐसा बशर नहीं?२

जिसे धूप दुख की न छू सके
कोई ऐसा दुनियाँ में घर नहीं?३

तन्हाई, साया साथ है
बेदर्द खुशियां मगर नहीं.४

जिसे लोग कहते हैं जिंदगी
देवी इतनी आसां सफर नहीं.५

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