Monday, November 13, 2006

ऐ दिल बता

२१२२,२१२२,२१२

ज़ख्म दिल का अब भरा तो चाहिये
बा असर उसकी दवा तो चाहिये.१

खींच ले मुझको जो वो अपनी तरफ
शोख़ सी कोई अदा तो चाहिये.२

उसकी हो सूरत भली, सूरत भली
फिर भी वो लिक् पढ़ा तो चाहिये.३

जिनको मिलती है हमेशा ही दग़ा
उनको भी थोड़ी वफा तो चाहिये.४

काम अच्छा या बुरा, जो भी हुआ
उसका मिलना कुछ सिला तो चाहिये.५

जलते बुझते जुगनुओं की सही
ज़ुल्मतों में कुछ ज़िया तो चाहिये.६

मैं मनाऊं भी किसे, ऐ दिल बता
रूठ कर बैठा हुआ तो चाहिये.७

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1 टिप्पणी:

At 6:24 AM, Blogger राकेश खंडेलवाल उवाच...

उड़ के आ जायेंगे हम भी उस तरफ़
पर उड़ाये जो हवा तो चाहिये

अच्छी रचना है

 

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