वफा पे जिसकी हमें नाज़ था
२२१,२१२१,१२२१,२१२मिलने की हर घड़ी में बिछडने का गम हुआ
फिर भी हमें खुशी थी, कि उनका करम हुआ.१
नजरें मिली तो मिलके, वो झुकती चली गईं
फिर भी हया का बोझ न कुछ उनपे कम हुआ. २
कुछ और भी गुलाब थीं आंखें ख़ुमार में
कुछ और भी हसीन वो मेरा सनम हुआ. ३
कुछ तो चढ़ा था पहले हि हम पर नशा, मगर
कुछ आपका भी सामने आना सितम हुआ. ४
आती नहीं है प्यार की खुशबू कहीं से अब
खिलना ही जैसे प्यार के फूलों का कम हुआ. ५
अरमान का वो शहर था नज़रों से दूर दूर
फिर भी वो आस पास था, ऐसा भरम हुआ.६
देवी वफा पे जिसकी हमें नाज़ था बहुत
वो बेवफा हुआ तो, बहुत हमको गम हुआ.७
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